Pages

Saturday, January 28, 2012

आम आदमी

कल राह पर चलते वक़्त 
एक बुज़ुर्ग आदमी पर नज़र पड़ी 
भेष भूसा से वो एक आम आदमी लग रहे थे 
वो एक सरकारी दफ्तर के आगे खड़े हुए 
परेशान नज़रों से उसे घुर रहे थे 

मैंने जाकर पुछा, की क्या बात है 
उन्होंने कहा, बेटा
समझ नहीं आ रहा है अन्दर जाऊं या नहीं 

जेब में सिर्फ १०० रूपये मात्र हैं 
तिन दिन में इन्होने मेरे सारे पैसे ले लिए 
एक छोटा सा काम करने के लिए 
यह सोच रहा हूँ की 
अगर मैंने यह १०० रूपये भी दे दिए
तो रात की रोटी कैसे जुटेगी 

मेरी बीवी पिछले हफ्ते गुज़र गयी 
अगर मैं भी उसके साथ ही मर जाता 
तो उसका मृत्यु-प्रमाणपत्र लेने के लिए 
मुझे इन लोगों के हाथों रोज़ मरना तो ना पड़ता  

No comments:

Post a Comment